GST Impact on Property in Indore
जीएसटी काउंसिल की 34वी बैठक में रीयल एस्टेट कारोबार को बढ़ावा देने के मकसद से कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गए जिनमे मुख्य रूप से इस क्षेत्र में लगने वाले जीएसटी दरो में कटौती और किफायती मकानों का दायरा बढ़ाना शामिल है 19 मार्च को हुई इस बैठक में जीएसटी कॉउंसिल के द्वारा रीयल एस्टेट क्षेत्र पर वर्तमान कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था को लागू करने से जुड़े प्रावधानों पर और इसके अनुपालन से जुड़े मुद्दों पर स्वीकृति दे दी गयी है जीएसटी काउंसिल ने 24 फरवरी की पिछली बैठक में किफायती दर के अंडर कंस्ट्रक्शन मकानों पर जीएसटी दर को घटा कर एक प्रतिशत कर दिया था वही अन्य श्रेणी के मकानों पर कर की दर कम कर पांच प्रतिशत कर दी गयी है नई दरे 1 अप्रैल से लागू होगी
सामान्य श्रेणी की यूनिट्स पर 12 फीसदी की जगह 5 फीसदी जबकि किफायती श्रेणी के यूनिट्स पर 5 फीसदी की जगह 1 फीसदी जीएसटी लगेगा
वर्तमान व्यवस्था के तहत सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स व मकान के लिए होने वाले भुगतान पर जीएसटी की दर 12 फीसदी है और किफायती श्रेणी में आने वाले यूनिट्स के लिए जीएसटी की दर 8 फीसदी है इसके साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रावधान भी है
इन आवासीय यूनिट्स पर लगने वाली नई व्यवस्था के कारण अब घर लेना सस्ता हो जायेगा जिसमे 45 लाख तक के सामान्य श्रेणी के यूनिट्स पर मिलेगा 3.15 लाख तक का फायदा जबकि इसी कीमत के किफायती यूनिट्स पर 1.80 लाख तक का फायदा मिल सकता है नए नियमो से सामान्य श्रेणी के लक्ज़री यूनिट्स पर 7 फीसदी का फायदा जबकि किफायती श्रेणी के यूनिट्स पर 4 फीसदी का फायदा
नए नियमो के आधार पर बिल्डर्स व डेवेलपर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा भी नहीं मिलेगा इनपुट टैक्स वह टैक्स है जो कि बिल्डर्स व डेवेलपर्स कच्चे माल की खरीदी में चुकाते है पहले निर्माण कार्य में लगने वाले सामान जैसे स्टील, सीमेंट, लोहा इत्यादि पर बिल्डर्स को टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलता था जो बिल्डर्स अपने पास ही रख लेते थे इसी वजह से टैक्स क्रेडिट को वापस ले लिया गया
किन्तु वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट्स में इनके पास यह विकल्प रहेगा की वे पुरानी व्यवस्था एवं नई व्यवस्था में से किसी एक को चुन सके. उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 12 फीसदी की दर से भुगतान करना होगा या फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना 5 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा वही किफायती श्रेणी में टैक्स छूट के साथ 8 फीसदी का भुगतान करना होगा या फिर बिना छूट के 1 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा
45 लाख तक की कीमत के यूनिट्स को रखा जायेगा किफायती श्रेणी ( अफोर्डेबल होम्स ) के दायरे में
किफायती श्रेणी के घरो में वृद्धि और बिक्री को बढ़ाने के लिए इसकी परिभाषा में परिवर्तन किया गया है अब नई जीएसटी व्यवस्था के तहत अब 45 लाख तक की कीमत के मकानों को किफायती श्रेणी के दायरे में रखा गया है महानगरों में कम से कम 60 वर्ग मीटर और दूसरे अन्य शहरो में 90 वर्ग मीटर कारपेट एरिया वाले मकान अब किफायती कहलायेंगे बस इनकी कीमत 45 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए
नई व्यवस्था के फायदे और नुकसान
1 अप्रैल के बाद जिन प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू होगा उन पर कम रेट लगेंगे जानकारों के मुताबिक इस नए कर ढांचे से घरो कि कीमतों में कमी तो आएगी किन्तु बिल्डर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट ख़त्म किये जाने की स्थिति में इसका बोझ वे सहन नहीं कर पाएंगे जो की ग्राहकों पर ही पड़ेगा घरो की कीमतों में अनुचित वृध्दि को रोकने के लिए भी नियम मौजूद रहेंगे इस व्यवस्था के अंतर्गत।
किफायती श्रेणी के घरो का दायरा बढ़ने से इन यूनिट्स में वृद्धि होगी तो रिहायशी श्रेणी के घरो में 7 फीसदी टैक्स घटेगा इसलिए किफायती श्रेणी को जीएसटी के नए नियम से ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा नए नियम से लक्ज़री हाउसिंग सेगमेंट में बिल्डर और खरीदार दोनों को ही फायदा मिलेगा
Frequently Asked Questions
पहले से ही खरीदी गयी प्रॉपर्टी जिस पर 12% की दर से ही आंशिक भुगतान किया जा चूका हो इस स्थिति में बचे हुए भुगतान पर क्या जीएसटी की दर 5% होगी ?
इस स्थिति में खरीददार 5% जीएसटी के लिए एलिजिबल तो रहेगा किन्तु बिल्डर्स द्वारा नई व्यवस्था न चुने जाने की स्थिति में उसे बचे हुए भुगतान पर 12% की दर से ही जीएसटी देना पड़ेगा इस प्रकार दोनों व्यवस्थाओ में से किसी एक को चुनने का विकल्प बिल्डर के पास ही रहेगा जो एक ही बार संभव होगा