Bank V/s NBFC Home Loan In Indore | Housing Finance Companies in Indore | बैंक या फिर नॉन बैंकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) होम लोन 

Bank या फिर NBFC ( नॉन बैंकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ) होम लोन | Home Loan In Indore


Banks V/s NBFC Home Loan In Indore : जब आप इंदौर या किसी भी शहर में लोन के द्वारा किसी प्रॉपर्टी को लेने का सोचते है तो यह जरुरी होता है कि किसी ऐसे ऋणदाता का चुनाव करे जिससे आपकी वित्तीय जरूरते कम से कम खर्च में आसानी से पूरी हो जाये और आपको किसी उलझन का सामना न करना पड़े. | इसके लिए आपके पास वित्तीय संस्थानो की एक बड़ी लिस्ट होती है जिनमे मुख्य रूप से दो तरह के विकल्प होते है एक तो बैंक जिसमे प्राइवेट बैंक या सरकारी बैंक शामिल होते है और दूसरा विकल्प हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी) या नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी ( NBFC ) का होता है


आमतौर पर यदि किसी से पूछा जाए कि लोन कहाँ से लेना चाहिए तो एक ही जवाब आएगा बैंक ( Bank ) ! जो कि वर्षो से लोन लेने का सबसे बड़ा माध्यम रहा है किन्तु बैंको की कुछ विषमताओं के कारण पिछले कुछ वर्षो में Housing Finance Companies भी इस दौड़ में शामिल हो गयी है जिससे की ग्राहकों के लिए विकल्पों की संख्या और भी बढ़ गयी है अगर आपकी लोन की जरूरते किसी भी बैंक से पूरी नहीं हो रही है तो आपके पास एक और विकल्प मौजूद रहता है

Bank और NBFC ( नॉन बैंकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ) के Home Loan में अंतर


बैंक का गठन बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत किया जाता है जबकि एनबीएफसी का कम्पनीज एक्ट के तहत किया जाता है वैसे तो इन दोनों के उद्देश्य लगभग समान होते है किन्तु इनके नियंत्रण और दिशानिर्देश एक दूसरे से अलग होने के कारण इनमे एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है


बैंको का नियंत्रण रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) की निगरानी में किया जाता है और अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा आधारभूत होने के कारण इनके लिए नियम और कायदे काफी शख्त होते है जबकि एनबीएफसी का नियंत्रण सीधे आरबीआई से न होकर नेशनल हाउसिंग बैंक ( NHB ) के देख रेख में किया जाता है





एक Bank या NBFC हाऊसिंग फाइनेंस कंपनी से Home Loan लेना देखने में तो एक जैसे लगता है लेकिन दोनों अलग अलग तरीके से काम करते है दोनों ही अपने ग्राहकों को लोन देते समय अलग अलग दिशा निर्देशों का पालन करते है और इसलिए उनके द्वारा दिए जाने वाले Home Loan की पात्रता और मापदंड भी एक दूसरे से अलग होते है आईये जानते है ऐसे कौन से कारण है जिससे ये दोनों संस्थान एक दूसरे से भिन्न है


बैंक V/S नॉन बैंकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी - ब्याज दर

बैंको की ब्याज दर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ लेंडिंग रेट (MCLR) के आधार पर निर्धारित की जाती है जो कि इनका बैंचमार्क होता है बैंक इससे कम रेट पर लोन नहीं दे सकता जबकि ग्राहकों के लिए ब्याज दर इस पर लगने वाले प्रॉफिट मार्जिन पर निर्भर करती है जिसे स्प्रेड कहते है बैंको को इसका विवरण समय समय पर आरबीआई को पहले से ही देना होता है पारदर्शिता की दृष्टि से बैंको की ब्याज दर अन्य संस्थानों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होती है


एनबीएफसी द्वारा दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर का आधार प्राइम लेंडिंग रेट (PLR) होता है जो की इनका बेंचमार्क होता है जिसका निर्धारण एनबीएफसी के द्वारा स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है ग्राहकों को लोन देते समय ये संस्थान बहुत कम सख्ती के साथ अधिक से अधिक जोखिम तक उठा लेते है जिससे कि ग्राहकों की जरूरते पूरी हो सके और बदले में इनकी ब्याज दर बैंको की तुलना में थोड़ी अधिक हो सकती है जितना अधिक जोखिम होगा उतनी ही ब्याज दरों में अंतर देखने को मिलेगा



Bank  V/S NBFC - लोन की रकम व पात्रता

बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी दोनों ही संस्थानों द्वारा Home Loan की रकम व पात्रता का निर्धारण मासिक आय और प्रॉपर्टी की कीमत जैसे समान तथ्यों के आधार पर किया जाता है किन्तु गणना के समय ये दोनों ही अलग अलग तरीके से दिशा निर्देशों का पालन करते है उदाहरण के तौर पर प्रॉपर्टी के मूल्य का आंकलन करते समय बैंक प्रॉपर्टी की लागत का 75 से 90 प्रतिशत तक लोन प्रदान करती है जिसमे अन्य खर्चे जैसे स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन, इत्यादि नहीं जुड़े हुए होते है जिसे की ग्राहक को स्वयं ही वहन करना होता है जो कि प्रॉपटी की लागत का 15 से 20 प्रतिशत हो सकता है


एनबीएफसी भी समान दिशा निर्देशों का पालन करते हुए प्रॉपर्टी की लागत का 75 से 90 प्रतिशत तक लोन देती है किन्तु प्रॉपर्टी के मूल्य का आंकलन करते समय ये अन्य खर्चो को बाजार मूल्य के छोटे से हिस्से के तौर पर समाहित कर लेते है जिससे की प्रॉपर्टी की कुल लागत बढ़ जाती है और ग्राहकों को इस प्रकार के खर्चो के लिए भी अपनी पात्रता के अनुसार एक बड़ी रकम उधार लेने का मौका मिल जाता है




इसी प्रकार अन्य मापदंडो का आंकलन करते समय बड़ी रकम देने के लिए बैंको के मुकाबले एनबीएफसी ज्यादा सक्षम होती है


बैंक V/S नॉन बैंकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी - प्रोसेसिंग फीस व अन्य खर्चे


Bank और NBFC दोनों ही अपने ग्राहकों से पूरी प्रक्रिया के लिए जो रकम वसूलता है उसमे प्रोसेसिंग फीस, प्रॉपर्टी सर्च और वैल्यूएशन फीस, समय से पहले लोन चुकाने और विलम्भ शुल्क आदि शामिल होते है जो प्रतिस्पर्धा के अनुसार अलग अलग हो सकते है फिर भी बैंक की तुलना में एनबीएफसी के खर्च अधिक हो सकते है क्योंकि इनके लिए नियम और कायदे एनबीएफसी में काफी सख्त होते है जिनमे छूट की कोई गुंजाइस नहीं होती


Bank या फिर NBFC होम लोन - निष्कर्ष

बैंको से लोन लेना सस्ता होता है तो एनबीएफसी से लोन लेना आसान होता है कई बार बैंको की पात्रता और मापदंड में खरे नहीं होने के कारण लोन में असफलता का सामना करना पड़ सकता है और यह हो सकता है की किसी एनबीएफसी से आपको आसानी से लोन मिल जाये लेकिन इसकी ऐवज में ब्याज दर भी अधिक चुकानी पड सकती है इस प्रकार दोनों ही संस्थानों के अपने अपने फायदे और नुकसान है इसलिए अच्छा यही होगा की ऋणदाता का चुनाव करते समय पहले अपनी जरूरतों को समझे और वहीं आवेदन करे जहाँ आपकी अधिक से अधिक जरूरते पूरी हो रही हो कम से कम खर्चो के साथ |










Frequently Asked Question
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