Realestate in Indore

Property bajar indore



इंदौर : 1 अप्रैल से नये वित्तीय वर्ष की शुरुवात हो चुकी है और गत वर्ष हुए रियल एस्टेट कारोबार के आकड़े भी आ चुके है लम्बे समय से मंदी की मार झेल रहे इस सेक्टर का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षो के मुकाबले उम्मीद से बेहतर रहा है पंजीयन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिले में एक लाख करोड से भी अधिक की संपत्ति की खरीदी बिक्री का कारोबार हुआ है जिसमे एक लाख के करीब संपत्ति सम्बन्धी दस्तावेजों की रजिस्ट्री शामिल है जो कि पिछले वर्ष से 10 प्रतिशत अधिक बताया जा रहा है जिसमे आवासीय इकाइयों की संख्या का प्रतिशत भी अधिक रहा है इन आंकड़ों की माने तो नोटबंदी, जीएसटी और रेरा के लागु होने के बाद अब इनका प्रभाव साफ़ तौर पर देखा जा सकता है


जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में इसी प्रकार की वृद्धि देखने को मिलेगी जिसकी प्रमुख वजह शहर में तेजी से हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बताया जा रहा है साथ ही केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना और बैंको की कम ब्याज दर पर लोन सब्सिडी योजना का योगदान भी इसे बढ़ावा दे रहा है इन नीतियों के कारण एक ओर जहाँ इस सेक्टर के विकास कार्य को नई दिशा मिली है वही वास्तविक उपयोगकर्ताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है


कैसा रहेगा आने वाला समय रियलिटी बाजार के लिए ?

वर्तमान में किये गए सरकारी नीतियों में बदलाव और बैंको के ब्याज दर में कमी की उम्मीद से इस सेक्टर में और भी बेहतरीन प्रदर्शन की कामना की जा रही है दिग्गजों का कहना है कि रियलिटी बाजार सुस्ती और तेजी के एक पुरे सायकल में चलता है वर्ष 2012 तक बाजार में जबरदस्त तेजी का दौर था जिससे अधिक संख्या में नए प्रोजेक्ट लांच किये गए थे जिससे मांग से अधिक सप्लाई होने के कारण अनसोल्ड इन्वेंटरी बढ़ गयी और मंदी का दौर शुरू हो गया अब बाजार में धीरे धीरे अनसोल्ड इन्वेंटरी ख़त्म हो रही है वही नए प्रोजेक्ट बहुत ही कम लांच किये गए है


रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के मकसद से केंद्र सरकार के द्वारा लगातार महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे है पिछले कुछ महीने में केंद्र सरकार के द्वारा बढ़ती महंगाई को काबू में लाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी निरंतर प्रयास किये है और आगे भी इसकी उम्मीद की जा रही है जिसका प्रभाव इस सेक्टर में भी देखने को मिलेगा


जीएसटी की दरों में कमी से सस्ते होंगे घर


1 अप्रैल से लागू जीएसटी की दरों में कमी से अब सस्ते घर लेने का सपना भी पूरा होगा अब किफायती (अफोर्डेबल ) श्रेणी के घरो पर ये दर 8 फीसदी से घटाकर केवल 1 फीसदी कर दी गई है वही रियायती (लक्जरी) श्रेणी के घरो पर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी तक कर दी है हालाँकि इनपुट टैक्स क्रेडिट खत्म किये जाने के कारण बिल्डर के द्वारा कीमतों में वृद्धि किये जाने की आशंका जताई जा रही है किन्तु घरो की मांग के इस शुरुवाती दौर का अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए बिल्डर्स और डेवेलपर्स अपने नए प्रोजेक्ट की कीमतों में कभी भी बढ़ोतरी करना नहीं चाहें



किफायती घरो का भी बढा दिया दायरा, मिडिल क्लास के लिए महंगे घर खरीदना हुआ आसान


किफायती घरो के दायरे को भी बढ़ा दिया गया अब बड़े शहरो में 60 Sqmt तक एरिया और छोटे शहरो में 90 Sqmt तक एरिया वाले घर किफायती कहलायेंगे जिनकी कीमत 45 लाख तक होनी चाहिए इससे पहले इस तरह के घरो की कोई सटीक परिभाषा नहीं थी और इसकी सीमा भी 60 Sqmt तक थी अब किफायती घरो की संख्या में बढ़ोतरी के साथ इसकी मांग भी पूरी हो सकेगी


रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीतियों का भी मिलेगा फायदा

रियल एस्टेट को बढ़ावा देना हो या फिर महंगाई को काबू में लाना हो इसमें रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का योगदान सराहनीय रहा है पिछले डेढ़ वर्ष में आरबीआई ने दूसरी बार रेपो रेट में 0.25 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए अपना नरम रवैया अपनाया है नए वित्तीय वर्ष की शुरुवात के साथ रेपो रेट की दर 6.25 से घटाकर 6 फीसदी की जा चुकी है जिससे की बैंको को कम ब्याज दर पर पैसा मिलेगा और अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी की कमी दूर होगी


ब्याज दर कम होने की स्थिति में घर खरीदारों को बड़ी बचत का मौका मिलेगा

हालाँकि पिछली बार रेपो रेट में हुई कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं मिला था इस पर आरबीआई ने अपना रवैया साफ करते हुए बैंको को यह निर्देश दिए है 1 अप्रैल से बैंको को अपने फ्लोटिंग रेट पर दिए गए ऋण को एक्सटर्नल बेंचमार्क यानी रेपो रेट से लिंक्ड करना होगा जिससे कि इस प्रकार की कटौती का सीधा फायदा ग्राहकों को मिल सके. इससे पहले बैंक अपने ग्राहकों को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ लेंडिंग रेट ( MCLR ) के आधार पर ऋण देता था जो कि इनका अपना इंटरनल बेंचमार्क है


रेरा, जीएसटी और बैंको की मौद्रिक नीतियों में पारदर्शिता से बढ़ेगा ग्राहकों का भरोसा

पिछले वर्ष 1 मई को रेरा के आ जाने के बाद ग्राहकों और बिल्डरो के बीच भरोसे का माहौल उत्पन्न हुआ है जो की इस बाजार के पनपने और फैलने के लिए सबसे बड़ा फैक्टर साबित हो रहा है अब ग्राहकों के लिए किसी भी रेरा पंजीकृत प्रोजेक्ट से जुडी जानकारी इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है जिससे ग्राहकों और बिल्डर दोनों के लिए ही समय की बचत तो हो ही रही है साथ ही पारदर्शिता बढ़ने के कारण इनके बीच बेहतर रिश्ते भी बन रहे है


वही एकमात्र कर व्यवस्था जीएसटी के लागु हो जाने से भी इस सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ी है इसके साथ बैंको के ब्याज दर में कमी और प्रधान मंत्री की लोन सब्सिडी स्कीम से भी निश्चित रूप से इस सेक्टर में फैलाव आएगा


पिछले एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी सारी रियायते एक साथ मिल रही है इसलिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में खरीदारों और बिल्डर दोनों के नजरिये से लाभकारी होगा |








Frequently Asked Questions






और नया पुराने